रामपुर बुशहर, 10 दिसंबर
एसजेवीएन के लूहरी जल विद्युत परियोजना,चरण-1 के परियोजना निर्माण कार्य में बाधा के लिए माननीय उच्च न्यायालय द्वारा कड़ा संज्ञान लेते हुए आदेश जारी किए है।
ज्ञात रहे कि स्थानीय पंचायतों के लोगो दवारा समय समय पर परियोजना के निर्माण कार्य को बंद किया गया तथा परियोजना कार्यालय परिसर, बिथल में भी अवैध रूप से धरना प्रदर्शन किए।
इस परियोजना का निर्माण राष्ट्रहित में किया जा रहा है तथा परियोजना निर्माण हेतु सभी आवश्यक अनुमोदन भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान की गई है। इस प्रकार के धरना प्रदर्शन से परियोजना को प्रतिदिन लाखों रुपये का नुकसान तथा इस परियोजना के निर्माण में अनावश्यक देरी हो रही है।
इस मामले में हिमाचल प्रदेश के माननीय उच्च न्यायालय ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए आदेश जारी किए है जिसके नुसार परियोजना के किसी भी घटक के 500 मीटर के दायरे में प्रवेश करने पर रोक होगी। किसी भी व्यक्ति या प्रदर्शनकारी को बाधा डालने, प्रवेश करने का कोई अधिकार नहीं होगा, और वे किसी भी हिंसा में शामिल नहीं होंगे और वे परियोजना या किसी अन्य व्यक्ति (व्यक्तियों) की संपत्ति को नष्ट नहीं करेंगे। उन्हें डंपिंग साइट पर आने-जाने वाले वाहनों सहित परियोजना या इसके किसी भी घटक के लिए किसी भी प्रकार के वाहनों की पहुंच को अवरुद्ध करने नहीं नहीं दिया जाएगा।
इस आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि सीटू वर्कर यूनियन तथा परियोजना प्रभावित पंचायतों की कोई भी वैध शिकायत है, तो वे अपनी शिकायतों के निवारण के लिए सम्बंधित एसडीएम से संपर्क कर सकते हैं। लेकिन किसी भी स्थिति में सीटू वर्कर यूनियन तथा परियोजना प्रभावित पंचायत व उनके प्रतिनिधि, सदस्य, एजेंट आदि अराजकता में लिप्त न हो, और ना ही कानून को अपने हाथ में ले। कोई भी व्यक्ति जो इस आदेश का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है, अन्य कार्रवाई के अलावा, जो उनके खिलाफ की जा सकती है, उन पर अदालत की अवमानना के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है और उन्हें दंडित किया जा सकता है।