संरक्षण की दिशा में एक सफल कदम, 47 पहुंची जाजूराना की संख्या
रामपुर बुशहर,22 अप्रैल मीनाक्षी
हिमाचल प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सराहन में स्थित चिड़िया घर इन दिनों एक सकारात्मक खबर की वजह से सुर्खियों में है। यहां पर प्रदेश के राज्य पक्षी जाजूराना की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। वर्तमान में चिड़िया घर में कुल 47 जाजूराना हैं, जो कि वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। इस आशय की जानकारी डीएफओ वाइल्ड लाइफ सराहन, अशोक नेगी ने दी।
अशोक नेगी ने बताया कि वन विभाग का लगातार प्रयास है कि जाजूराना को सफलतापूर्वक प्रजनन के बाद जंगलों में वापस छोड़ा जाए ताकि यह पक्षी अपनी प्राकृतिक वासस्थली में स्वतंत्र रूप से रह सके। उन्होंने बताया कि 2021 के बाद से अब तक जंगलों में किसी भी जाजूराना को नहीं छोड़ा गया है, जबकि इससे पहले 6 जाजूराना पक्षियों को जंगल में छोड़ा गया था। वर्तमान में जाजूराना की बढ़ती संख्या विभाग के लिए उत्साहवर्धक है, लेकिन उनका लक्ष्य है कि इस संख्या को जंगलों में भी समान रूप से बढ़ाया जाए।
अशोक नेगी ने बताया कि जाजूराना, जो हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक अत्यंत दुर्लभ और सुंदर पक्षी है, विलुप्तप्राय प्रजातियों में गिना जाता है। इसके संरक्षण के लिए वन विभाग वर्षों से प्रयासरत है। सराहन चिड़िया घर को विशेष रूप से इस पक्षी के प्रजनन और संरक्षण के लिए विकसित किया गया है। यहां पर कृत्रिम वातावरण में इनका पालन-पोषण किया जाता है, जिससे उनकी संख्या में स्थिरता बनी रहे और भविष्य में इन्हें प्राकृतिक वासस्थल में सुरक्षित रूप से पुनर्स्थापित किया जा सके।
अशोक नेगी वन विभाग द्वारा जाजूराना को जंगलों में छोड़ने से पहले उनके स्वास्थ्य, अनुकूलन क्षमता और पर्यावरणीय परिस्थितियों का मूल्यांकन किया जाता है। विभाग का कहना है कि जब यह सुनिश्चित हो जाएगा कि जाजूराना जंगल में सुरक्षित रह सकते हैं और वहाँ के पर्यावरण में अच्छे से ढल सकते हैं, तभी उन्हें छोड़ा जाएगा।
अशोक नेगी ने यह भी बताया कि विभाग स्थानीय समुदायों को भी इस दिशा में जागरूक कर रहा है ताकि वे जाजूराना के संरक्षण में भागीदार बन सकें। स्थानीय लोगों की भागीदारी और समर्थन के बिना किसी भी संरक्षण योजना की सफलता अधूरी रहती है।
वहीं बता दें कि सराहन चिड़िया घर में जाजूराना की संख्या में हो रही वृद्धि हिमाचल प्रदेश के लिए गर्व की बात है और वन विभाग के प्रयासों का प्रत्यक्ष प्रमाण भी। यदि यह क्रम ऐसे ही जारी रहा और उचित समय पर जंगलों में इनका पुनर्स्थापन हुआ, तो निश्चित ही जाजूराना के अस्तित्व को सुरक्षित किया जा सकेगा और यह दुर्लभ पक्षी आने वाली पीढ़ियों को भी देखने को मिलेगा।
फोटो कैप्शन
रामपुर बुशहर : बेहतरीन व खुबसूरत पक्षी जाजूराना।