सेब सीजन में एक स्पेन तक का प्रबंध नहीं कर पाई सरकार व प्रशासन
रामपुर बुशहर,28 जुन मीनाक्षी
हिमाचल प्रदेश के रामपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत फांचा का नंती टिक्कर क्षेत्र आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। विशेष रूप से सेब सीजन के दौरान यहां के किसान और बागवानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। करीब 700 की आबादी वाला यह क्षेत्र आज भी सड़क से जुड़ा नहीं है, जिस कारण ग्रामीणों को अपने घरों तक पहुंचने के लिए खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। यह सफर लगभग 2 घंटे में तय होता है, जो न सिर्फ थकानभरा है बल्कि बुजुर्गों, महिलाओं और बीमार व्यक्तियों के लिए बेहद कष्टदायक भी है। ग्रामीणों को अपने रोजमर्रा,खाने पीने की चीजें लेजाना भी मुश्किल हो जाती है।
यहां के स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि
सेब उत्पादन इस क्षेत्र की मुख्य आर्थिक गतिविधि है। परंतु, सड़क सुविधा न होने के कारण बागवानों को अपने सेब मंडियों तक पहुंचाने में काफी खर्च और श्रम करना पड़ता है। नंती टिक्कर से बाहवा पुल तक सेब की ढुलाई में ही आधी कमाई खर्च हो जाती है। इससे बागवानों की आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ रहा है।
ऐसे में सेब सीजन में सेब ढुलाई के लिए स्पेन भी
गौरतलब है कि सेब की ढुलाई के लिए स्पेन (सेब उठाने का पारंपरिक तरीका) का सहारा लेना पड़ रहा है क्योंकि क्षेत्र में ट्रकों या अन्य वाहनों के पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है। मजदूरों को सेब के भारी पेटियों को पीठ पर लादकर खड़ी पहाड़ी से नीचे लाना पड़ता है। इस कठिनाई भरे काम के लिए मजदूरी भी काफी अधिक देनी पड़ती है, जिससे बागवानों की लागत और बढ़ जाती है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि वे वर्षों से सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। चुनावों के दौरान नेताओं द्वारा वादे तो किए जाते हैं, लेकिन चुनाव बीतते ही सारे वादे हवा हो जाते हैं। आज जब देश डिजिटलीकरण और स्मार्ट सिटी की ओर बढ़ रहा है, वहीं नंती टिक्कर जैसे गांव बुनियादी सड़क सुविधा के लिए तरस रहे हैं।
स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों और किसान संगठनों ने प्रशासन और सरकार से मांग की है कि इस क्षेत्र को प्राथमिकता के आधार पर सड़क सुविधा से जोड़ा जाए। साथ ही सेब सीजन में अस्थायी रास्ते या वैकल्पिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की जाए, ताकि बागवानों को राहत मिल सके।
वहीं बता दें कि यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो इससे न केवल ग्रामीणों की आजीविका प्रभावित होगी, बल्कि क्षेत्र में बागवानी के प्रति लोगों का उत्साह भी कम हो सकता है। सरकार को चाहिए कि वह ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं को गंभीरता से ले और विकास की रोशनी उन गांवों तक भी पहुंचाए जो अब तक उपेक्षित हैं।
फोटो कैप्शन
रामपुर बुशहर : सड़क सुविधा से वांछित नंती टिक्कर गांव।