हिमाचल के शेर: स्वर्गीय राजा वीरभद्र सिंह की कहानी – बचपन से अंत तक

रामपुर बुशहर,13 अक्टूबर मीनाक्षी 

हिमाचल प्रदेश की राजनीति में “राजा साहब” के नाम से प्रसिद्ध स्वर्गीय वीरभद्र सिंह न केवल एक जननेता थे, बल्कि एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिनका जीवन समर्पण, संघर्ष और सेवा की मिसाल रहा।

राजसी परिवार में जन्म:

वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को सराहन (जिला शिमला) के बुशहर रियासत के शाही परिवार में हुआ था। उनके पिता राजा पद्म सिंह बुशहर रियासत के राजा थे। राजघराने में जन्म लेने के बावजूद वीरभद्र सिंह का जीवन सादगी, शिक्षा और जनसेवा से जुड़ा रहा।

शिक्षा और शुरुआती जीवन:

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिशप कॉटन स्कूल, शिमला से प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। वहां से उन्होंने इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। बचपन से ही उनमें जनता के बीच रहने और समाज की सेवा करने की भावना थी।

राजनीतिक सफर की शुरुआत:

वीरभद्र सिंह का राजनीति में प्रवेश 1962 में हुआ, जब वे पहली बार लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। इसके बाद उनका राजनीतिक सफर रुकने का नाम नहीं लिया। वे छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने – 1983, 1985, 1993, 1998, 2003 और 2012 में।

विकास पुरुष की पहचान:

वीरभद्र सिंह को हिमाचल प्रदेश का विकास पुरुष कहा जाता है। उनके नेतृत्व में राज्य में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन के क्षेत्र में बड़ी प्रगति हुई। उन्होंने ग्रामीण इलाकों तक सड़कें पहुंचाईं, स्कूलों और कॉलेजों का जाल बिछाया और किसानों-बागवानों की आय बढ़ाने के लिए अनेक योजनाएं शुरू कीं।

संघर्ष और जनसेवा:

राजनीतिक जीवन में उन्हें कई चुनौतियों और विरोधों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हर बार धैर्य और मजबूती से काम किया। अपने सादे स्वभाव और जनता के बीच लोकप्रिय छवि के कारण वे जननायक बन गए।

व्यक्तिगत जीवन:

वीरभद्र सिंह की शादी प्रमिला कुमारी से हुई थी, जिनसे उनके चार बच्चे हुए। बाद में उन्होंने प्रतिभा सिंह से विवाह किया, जो वर्तमान में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हैं। उनके पुत्र विक्र्रमादित्य सिंह भी राजनीति में सक्रिय हैं  लोक निर्माण विभाग के मंत्री हैं।

अंतिम दिन और विदाई:

लंबी बीमारी के बाद वीरभद्र सिंह ने 8 जुलाई 2021 को शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन से हिमाचल प्रदेश ही नहीं, पूरे देश ने एक सच्चा जनसेवक खो दिया। राज्यभर में शोक की लहर दौड़ गई और हजारों लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए उमड़े।

विरासत:

राजा वीरभद्र सिंह आज भी जनता के दिलों में जीवित हैं। उनका नाम हिमाचल के विकास, स्थिर राजनीति और जनसेवा की मिसाल के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।

“राजा साहब चले गए, पर उनकी बनाई राहें आज भी हिमाचल को दिशा दे रही हैं।”

आज हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के रिज मैदान पर उनकी प्रतिमा का अनावरण किया जा रहा है। जहां पर सोनिया गांधी व प्रियंका गांधी भी मौजूद रहेंगी। इस अवसर पर पुरे प्रदेश से यहां पर लोग हजारों की संख्या में पहुंचे हुए हैं।

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