शिमला 22 अप्रैल
जारी कार्यालय आदेश संख्या 2025-26/06/2015 के अनुसार, हिमाचल प्रदेश वन विभाग की वन्यजीव विंग ने यह स्पष्ट किया है कि पंजीकृत पशु वस्तुओं या ट्रॉफियों का सार्वजनिक प्रदर्शन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत निषिद्ध है। इस आदेश के अनुसार, यह देखा गया है कि कई लोग अपने पास पंजीकृत वन्यजीव वस्तुओं और ट्रॉफियों को सार्वजनिक स्थानों, सामाजिक आयोजनों, संस्थानों, वाणिज्यिक परिसरों और यहां तक कि सोशल मीडिया पर भी प्रदर्शित कर रहे हैं। यह कार्य न केवल संबंधित कानून का उल्लंघन है, बल्कि इससे अवैध शिकार और वन्यजीव व्यापार को भी बढ़ावा मिल सकता है।
भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) ने भी 30 दिसंबर 2014 को जारी अपने पत्र (संख्या 12-23/WCCB/2014/सं.06/2051) में इस प्रकार के सार्वजनिक प्रदर्शन को प्रतिबंधित करने की सिफारिश की थी। यह पत्र वन्यजीव संरक्षण के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि वन्यजीव ट्रॉफियों का सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन करना समाज में शिकार की प्रवृत्ति को सामान्य बना सकता है और अन्य व्यक्तियों को इस ओर आकर्षित कर सकता है।
इस आदेश में विशेष रूप से यह निर्देश दिया गया है कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 42 के अंतर्गत पंजीकृत पशु वस्तुओं/ट्रॉफियों को सार्वजनिक रूप में प्रदर्शित करना प्रतिबंधित है। यदि कोई व्यक्ति इस आदेश का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें उसका पंजीकरण रद्द किया जाना और संबंधित ट्रॉफियों को जब्त किया जाना शामिल हो सकता है।
इस आदेश की प्रतिलिपि राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन), पीसीसीएफ (एचओएफएफ), पुलिस महानिदेशक, तथा राज्य के सभी संबंधित वन अधिकारियों (सीसीएफ, सीएफ, डीएफओ) को भेजी गई है। सभी अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि वे इस आदेश को अपने-अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले पंजीकृत ट्रॉफी धारकों के संज्ञान में लाएं और यह सुनिश्चित करें कि इस आदेश का पूर्णत: पालन हो।
इस प्रकार, हिमाचल प्रदेश वन विभाग का यह आदेश वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक कठोर कदम है, जिसका उद्देश्य न केवल अवैध शिकार को रोकना है, बल्कि समाज में वन्यजीवों के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता भी बढ़ाना है।