हनुमान जी की पूंछ में किस शक्ति का था वास? नहीं जानते होंगे उनकी पूंछ से जुड़े ये रहस्य!
सबसे प्रसिद्ध प्रसंग में, जब रावण ने हनुमान जी की पूंछ में आग लगवाने का आदेश दिया, तब हनुमान जी स्वयं तो जलने से बचे, लेकिन उन्होंने अपनी अग्निमय पूंछ से पूरी लंका को भस्म कर दिया. इसके पीछे मान्यता है कि उनकी पूंछ में अग्नि तत्व का स्थायी वास था. अग्नि देव को जहां शुद्धि और संहार का प्रतीक माना जाता है, वहीं हनुमान जी की पूंछ को इस अग्नि शक्ति को नियंत्रित करने की क्षमता प्राप्त थी.
रुद्रावतार हैं हनुमान
हनुमान जी को शिव के रुद्रावतार के रूप में जाना जाता है, और उनकी पूंछ में उसी रुद्रत्व और तेज का प्रकटीकरण होता है. कुछ आध्यात्मिक परंपराओं में उनकी पूंछ को ‘कुंडलिनी शक्ति’ का प्रतीक माना गया है, जो एक ऐसी दिव्य ऊर्जा है जो मूलाधार चक्र से उठकर सहस्रार तक जाती है. यह शक्ति ब्रह्मांडीय संतुलन और आत्मिक जागरण से जुड़ी मानी जाती है.
हनुमान जी की पूंछ की शक्ति का चमत्कार
इच्छानुसार आकार में बदलाव- हनुमान जी की पूंछ को एक चमत्कारी अंग माना गया है, जो आवश्यकता अनुसार लंबी या छोटी हो सकती थी. लंका दहन के दौरान उन्होंने इसे कई बार विस्तार दिया.
संहारक शक्ति- शांत रहने वाली यह पूंछ जब सक्रिय होती, तो शत्रुओं के लिए विनाशकारी बन जाती. यही पूंछ लंका को जलाकर राख करने वाली बनी.
ब्रह्मांडीय संतुलन का प्रतीक- वानर रूप में उनकी पूंछ शारीरिक संतुलन बनाए रखती थी, लेकिन यही संतुलन जीवन और धर्म में भी आवश्यक माना गया है.
दैवीय कृपा का केंद्र- शिव पुराण में उल्लेख है कि हनुमान जी की पूंछ पर स्वयं महादेव की कृपा है. यह पूंछ किसी सामान्य अंग से कहीं अधिक, दिव्यता और शक्ति का स्रोत है.
पूंछ में देवी पार्वती का वास?
एक प्राचीन कथा के अनुसार, जब रावण ने शिव जी से वह दिव्य महल मांगा था, जो उन्होंने माता पार्वती के लिए बनवाया था, तो माता अत्यंत क्रोधित हुईं. शिवजी ने उन्हें आश्वासन दिया कि जब वह त्रेता युग में हनुमान के रूप में अवतरित होंगे, तब माता पार्वती उनकी पूंछ में निवास करके लंका को जलाकर अपना क्रोध शांत करेंगी. इसलिए कई मान्यताओं में यह भी कहा जाता है कि हनुमान जी की पूंछ में देवी पार्वती का वास है.
पूंछ की परिक्रमा और भक्तों की आस्था
आज भी अनेक भक्त हनुमान जी की पूंछ की परिक्रमा करते हैं और मनोकामनाएं मांगते हैं. कई श्रद्धालुओं को स्वप्न में उनकी पूंछ के दर्शन भी होते हैं, जिसे ईश्वरीय संरक्षण और कृपा का संकेत माना जाता है.