रामपुर बुशहर,7 दिसंबर मीनाक्षी
तहसील रामपुर बुशहर, जिला शिमला के रहने वाले केहर सिंह, उम्र 40 वर्ष, आज भी अपने हक की दिव्यांग पेंशन से वंचित है।
केहर सिंह जन्म से ही सुनने और बोलने में असमर्थ है। शारीरिक दिव्यांगता होने के बावजूद वह अपनी रोज़ी–रोटी के लिए जंगलों से नगाड़ लाता है और उनसे किल्टे (टोकरियाँ) बनाकर बेचता है। इसी से उसका परिवार किसी तरह गुजर–बसर करता है।
केहर सिंह के माता–पिता भी अनपढ़ और उम्रदराज़ हैं, जिससे उसे कहीं आने–जाने में मदद नहीं मिल पाती। सबसे बड़ी समस्या यह है कि अभी तक उसका दिव्यांगता प्रमाण पत्र (Disability Certificate) नहीं बन पाया है।
स्थानीय लोगों के अनुसार खनेरी अस्पताल में आवश्यक मशीनें उपलब्ध नहीं होने के कारण उसकी जांच नहीं हो सकी। वहीं शिमला ले जाने वाला भी कोई नहीं, जिस वजह से वह बड़े अस्पताल में प्रमाणिकरण प्रक्रिया पूरी नहीं करवा पाता।
दिव्यांगता प्रमाण पत्र न होने के कारण वह दिव्यांग पेंशन योजना का लाभ भी नहीं ले पा रहा, जबकि वह पूरी तरह से असली हकदार है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे जरूरतमंद व्यक्ति को प्रशासन द्वारा विशेष सहायता दी जानी चाहिए, ताकि वह बिना किसी परेशानी के अपना प्रमाण पत्र बनवा सके और सरकार की सुविधाओं का लाभ उठा सके।
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