बुरांश के फूलो को ग्रामीण लोग प्रयोग करते है कई बीमारियों में औषधी के रूपमें
ऐसे में मार्च और अप्रैल महीनों में पहाड़ बुरांश के फूलों के गुलाबी रंगो से हो जाते है गुलजार
रामपुर बुशहर, 24 मार्च
ऊपरी हिमाचल के जंगलो में बुरांश के सदाबहार पेड़ जंगलो की
शोभा बढ़ाने में अहम् भूमिका निभाते है। घने जंगलो में मार्च, अप्रैल महीने में बुरांश के फूल खिलते ही वीरान जंगल आकर्षक और
मनमोहक हो जाते है। इन दिनों जंगल बुरांश के फूलो से लबा लब होने के
कारण स्वर्ग की परिकल्पना कराते है। बुरांश के फूलों को ग्रामीण लोग कई
बीमारियों में औषधि के रूप में इस्तेमाल करते है। बुरांश के फूलों से
बना शरबत हृदय रोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इन
पंखुड़ियों का उपयोग सर्दी, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और बुखार को
दूर करने के लिए किया जाता है। स्थानीय लोग इसका इस्तेमाल स्क्वैश चटनी
और जैम बनाने में करते हैं। वसंत ऋतु में आने वाले पर्वों के दौरान
देवी देवताओ के रस्मो में ग्रामीण बुरांश के फूलों का प्रयोग करते है।
बुरांश उत्तराखंड का राजकीय वृक्ष है, जबकि हिमाचल और नागालैंड का
राजकीय पुष्प भी है। बुरांश का वानस्पतिक नाम रोडोडेंड्रोन अरबोरियम
एसएम है। बुरांश को अंग्रेज़ी में रोडोडेंड्रोन और संस्कृत में कुर्वाक
के नाम से भी जाना जाता है। बुरांश के पेड़ो की ऊंचाई पच्चीस से चालीस फ़ीट
तक होती है और पंद्रह सौ से चार हजार मीटर की ऊंचाई में अधिक पाया जाता
है। यह एक सदाबहार पेड़ है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर
जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (आईसीजीईबी) के शोधकर्ताओं ने
हिमालय की पहाड़ियों में पाए जाने वाले बुरांश के पेड़ से कोरोना का इलाज
ढूंढने का दावा किया है।
वही
किन्नौर चौरा गाँव के रतन चंद ने बताया फागुन लगते ही बुरांश के
फूल खिलने लगते है। जब बुरांश के फूल जंगल में खिलते है तो जंगल सुन्दर
लगने लगते है। बुरांश बारह महीने हरा रहता है। बुरांश में फूल आने के
बाद करीब दो महीना फूल रहते है। बुरांश के फूलों नवरात्रि में भी
इस्तेमाल करते है। इस के कई औषधीय गुण भी है।