रामपुर बुशहर,26 सितम्बर मीनाक्षी
तिब्बत व चीन सीमा से सटे हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती जनजातीय स्पीति घाटी का भौगोलिक स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण है। शीत मरुस्थल कहे जाने वाले दुर्गम व पिछड़े जनजातीय स्पीति घाटी सर्दियों में छह से सात महीने तक बर्फ से घिरा रहता है, जिससे स्पीति घाटी अपने ही जिला मुख्यालय केलांग तथा शेष दुनिया से संपर्क कटा रहता है। स्पीति घाटी में जो भी विकासत्मक गतिविधियां तथा कामकाज है गर्मियों के कुछ महीने तक सीमित है। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति सिथ्त विकास खंड काजा के अंतर्गत आने वाले स्पीती के तेरह पंचायतों में अभी तक फिफ्टीन फाइनेंस तो दूर मनरेगा का कार्य शुरू नहीं हुआ हैं। बता दें कि गवर्नमेंट विकास कार्यों को मूर्तरूप देने के हर संभव प्रयास करते हैं, लेकिन स्पीति में विभागों के लच्चर व्यवस्था लेटलतीफी और लापरवाही से विकासत्मक योजनाएं फलीभूत नहीं हो रहा है। यदि हिमाचल प्रदेश के गवर्नर श्री शिव प्रताप शुक्ल जी तथा प्रदेश कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सूकखू हिमाचल प्रदेश के पिछड़े घाटी स्पीती तथा जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए मनरेगा में निर्धारित 100 दिवस के रोजगार को बढ़ाकर प्रति परिवार 200 दिन तत्काल प्रभाव से लागू करें तो काफी मददगार साबित होंगे।