सरपारा पंचायत पर बादलों का कहर: एक महीने पहले ही दोहराई तबाही, फिर ताज़ा हुए जख्म

आसमान से आई आफत ने जख्मों को किया ताजा,
सरपारा पंचायत पिछले कुछ वर्षों से लगातार बारिश के मौसम में प्राकृतिक आपदाओं का बना है केंद्र

रामपुर बुशहर,30 जुन मीनाक्षी

शिमला जिला की रामपुर उपमंडल की सरपारा पंचायत एक बार फिर प्रकृति के कहर की चपेट में आ गई है। इस बार सीकासेरी गांव में बादल फटने की घटना ने लोगों को एक महीने पहले की दर्दनाक त्रासदी की याद दिला दी, जिसमें समेज में बादल फटने से 36 लोगों की जान चली गई थी। उस भीषण आपदा से लोग अब तक उबर भी नहीं पाए थे कि एक बार फिर आसमान से आई आफत ने जख्मों को ताजा कर दिया।

सोमवार सुबह करीब 3 बजे सीकासेरी गांव में बादल फटने की खबर से क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। तेज बारिश और अचानक आई मलबे की लहरों ने राजेंद्र कुमार नामक ग्रामीण की रसोई, एक कमरा, गौशाला सहित एक गाय और दो बछड़ियों को बहा लिया। मौके पर पहुंचे प्रशासन और पुलिस दल ने स्थिति का जायजा लिया और नुकसान का आकलन किया। गनीमत रही कि इस बार कोई जानी नुकसान नहीं हुआ, लेकिन जान-माल की क्षति ने लोगों को फिर डरा दिया है।

गौरतलब है कि सरपारा पंचायत पिछले कुछ वर्षों से लगातार बारिश के मौसम में प्राकृतिक आपदाओं का केंद्र बनी हुई है। गांवों की बस्तियां पहाड़ियों की ढलानों पर स्थित हैं, जहां ज़रा सी भी मूसलाधार बारिश जानलेवा साबित हो सकती है।

पिछले साल जुलाई के अंत में जब समेज में बादल फटा था, तो पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई थी। 36 लोगों की मौत और कई घरों का मलबे में तब्दील होना अब भी स्थानीय लोगों के ज़हन में ताज़ा है। उस हादसे के एक महीने पहले आज जब फिर से सरपारा में बादल फटा, तो भय और चिंता का माहौल बन गया है।

प्रशासन को चाहिए कि वह इस संवेदनशील क्षेत्र में बारिश के पूर्वानुमान के आधार पर अलर्ट प्रणाली को मजबूत करे, संभावित आपदा क्षेत्रों का पहले से चिन्हांकन हो और स्थानीय लोगों को आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षित किया जाए।

सरपारा पंचायत के लोग हर बरसात में जान हथेली पर रख कर जीते हैं। इस बार की चेतावनी को गंभीर मानते हुए अब सरकार और प्रशासन को स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

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