डॉ0 सीमा भारद्वाज का शोध शिक्षको के आध्यात्मिक, भावात्मक क्षमता व समाज हित में।

रामपुर बुशहर,30 जुलाई
राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हुए शोध कार्य में यह सिद्ध हुआ है कि आध्यात्मिक व भावात्मक बुद्धि का समन्वय शिक्षकों की कार्यक्षमता व शिक्षण को प्रभावशाली बनाने में अत्यंत प्रभावी है। यह शोध कार्य डॉ0 सीमा भारद्वाज जो कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन महाविद्यालय में प्राचार्या के पद पर कार्यरत है । यह प्रयोगात्मक शोध कार्य भावी आध्यापकों को आध्यात्मिक व भावनात्मक रूप से मजबूत व स्थिर बनाने में सहायक है।
इस शोध कार्य मे पाया गया कि जिन शिक्षकों की अध्यात्मिक बुद्धिमता अधिक है वे शिक्षण प्रभावशीलता मे भी उच्च स्तर पर रहे हैं। शोध के परिणाम बताते है कि आध्यात्मिक व भावात्मक बुद्धि व्यक्तिगत व व्यावसायिक स्वास्थ्य से सकारात्मक रूप से जुड़ी है जो अध्यापको व छात्रों की शैक्षिक उपलब्ध्यिों को बढ़ाती है तथा बेहतर इन्सान बनने में मददगार है। इसके साथ ही अध्यात्मिक व भावात्मक बुद्धिमता (Spiritual and Emotional Intelligence) से शिक्षक भावात्मक समत्व व समझदारी से शिक्षा दे सकते हैं साथ ही, तनाव, डिप्रेशन, कुंठा जैसी मानसिक बिमारियों से निजात पाने में भी यह शोध कारगर सिद्ध हुआ है। इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से शिक्षकों द्वारा युवाओं मे आत्म साक्षरता, नागरिक चेतना, करूणापूर्ण प्रतिस्पर्धात्मकता व मानसिक समृद्धि का विकास संभव है ।
डॉ0 सीमा ने बताया कि इस प्रयोगात्मक अध्ययन में योग की कुछ क्रियाओं जैसे सूर्य नमस्कार, आसन, प्राणायाम, ऊँ उच्चारण तथा भावातीत जैसी ध्यान क्रियाओं को शामिल किया गया साथ ही कुछ सैद्धान्तिक विषयों जैसे क्षमा, करूणा, कृत्ज्ञता, जीवन के उदेश्य (धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष) भाग्य व कर्म के सिद्धान्त, ईश्वर व आत्मा जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा को शामिल किया। इस कार्य को हि0 प्र0 वि0 द्वारा खूब सराहा गया और शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ0 चमन लाल बंगा ने भावी शोधार्थियों को भी इस तरह के शोध कार्या के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों को शिक्षा के क्षेत्रों जैसे विद्यालयों , महाविद्यालयों में छात्रों व शिक्षकों में अध्यात्मिक व भावनात्मक विकास करने के लिए अपनाया जाना चाहिए। छोटे से क्षेत्र (रचोली गाँव ), रामपुर बुशैहर में पढ़ी डॉ0 सीमा की शैक्षणिक योग्यता समाज के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। उन्होंने हि0 प्र0 विश्वविद्यालय से शिक्षा में डॉक्टरेट (Ph.D. in Education) की डिग्री प्राप्त की है, शिक्षा में (M.Phil. in Education) स्नातकोतर की डिग्री प्राप्त की है साथ ही शिक्षा, दर्शन शास्त्र, मनोविज्ञान, इतिहास, संगीत व पत्रकारिता मेa मास्टर की डिग्री प्राप्त की है। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर NET की परीक्षा पास की है लगभग 15 शोध पत्रों व चार पुस्तकों का प्रकाशनय शिक्षा में नाटक एवम कला, (हिन्दी व अंग्रेजी संस्करण), बाल्यावस्था एवम विकास वर्ष, सीखना एवम अधिगम का प्रकाशन कर चुकी हैं। अन्तर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर कई शोध कार्यशालाओं व सेमीनार में भाग ले चुकी हैं तथा कई शोध विषयों पर प्रस्तुति दे चुकी हैं। बी0 एड0 शैक्षिणक संस्थानों में परीक्षक के रूप में भी अपनी सेवाएं दे रही हैं। इसके साथ ही वे अभी तक एम0एड0 के 36 शोध कर्ताओं को शोध कार्य करवा चुकी हैं। डॉ0 भारद्वाज विद्यालयों तथा महाविद्यालयों में दबाव व कुंठा (Stress and Anxiety), अवसाद (Depression), अध्यात्मिक व भावनात्मक बुद्धि (Spiritual and Emotional Intelligence), जैसे विषयों पर अतिथि व्याख्यान भी दे चुकी हैं। शिक्षा के क्षेत्र में लगभग 16 वर्षो से वे अपनी सेवाएं दे रही हैं, वर्तमान में डॉ0 भारद्वाज सर्वपल्ली राधाकृष्णन बी0 एड0 / एम0 एड0 कॉलेज नोगली में प्रधानाचार्या के पद पर कार्यरत है। डॉ0 भारद्वाज की उपलब्धियाँ सराहनीय है जो पूरे रामपुर क्षेत्र व प्रदेश के लिए गौरव की बात है डॉ0 भारद्वाज के इस सफल शोध कार्य के लिए सर्वपल्ली राधाकृष्णन संस्थान के अध्यक्ष डॉ0 मुकेश शर्मा ने उन्हें बधाई दी तथा भविष्य में इस कार्य को निरंतर सामाजिक हित में करने की अपेक्षा की।

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