हिमाचल प्रदेश के सराहन मैं स्थित भीमाकाली मंदिर पौराणिक काल का सबसे प्राचीन और भव्य मंदिरो मैं से एक हैं। यह मंदिर शिमला से 180 km की दुरी पर हैं , और 51 शक्ति पीठ मैं से एक हैं । यह हिमाचल में यात्रा करने के लिए सबसे अच्छी जगह है। सराहन ,रामपुर बुशहर से करीब 30 किलोमीटर की दुरी पर हैं , रामपुर से 17 किलोमीटर के करीब ज्यूरी नामक कस्बा पडता है जहां से सराहन के लिये रास्ता जाता है ।
यह स्थान धार्मिक आस्था के साथ इसकी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता हैं , सराहन को किन्नौर का प्रवेश द्वार माना जाता हैं ।
यंहा की सुंदरता प्रकृति प्रेमियों को मंतर्मुग्ध कर देती हैं ।
सराहन से श्रीखंड शिखर दृष्टि गोचर होता हैं जिसे भगवन शिव का निवास स्थान माना जाता हैं । इस मंदिर की बहुत अनुठी शैली हैं यह हिंदू और बौद्ध शैली का मिश्रण है । यह मंदिर करीब 1000 से 2000 वर्ष पुराना भी माना जाता है ।
भीमकली के बारे में पौराणिक कथा:–
एक पौराणिक कथा के अनुसार, देवी के प्रकट होने की सूचना दक्ष-यज्ञ की घटना से मिलती है, जब सती का कान इस स्थान पर गिरा था और एक पीठ – स्थान के रूप में पूजा स्थल बन गया था। वर्तमान में एक कुंवारी के रूप में इस शाश्वत देवी का प्रतीक नए भवन के शीर्ष मंजिला पर संरक्षित है। उसके नीचे देवी पार्वती के रूप में, हिमालय की पुत्री भगवान शिव के दिव्य संघ के रूप में विराजित है ।
मंदिर के परिसर में तीन और मंदिर हैं । भगवान श्री रघुनाथजी का मंदिर इसके प्रागण के दूसरे छोर पर हैं , श्री नरसिंहजी का मंदिर और पाताल भैरव जी (लंकरा वीर) जो की माता भीमाकाली के चिर कालीक सेवक हैं।
इतिहास :-
सराहन बिगत के बुशहर शहर की ग्रीष्म कालीन राजधानी हुआ करती थी । बुशहर राजवंश पहले कामरो से राज्य को नियंत्रित करता था। बुशहर राज्य के शाशक रामपुर से शाशन किया करते थे, कालांतर मैं शोणितपुर राजधानी बन गया । बिगत का शोणितपुर सराहन के नाम से प्रचलित हो गया । सराहन मैं राज महल की निर्माण शैली, परम्परा का अतिशय प्रमाण हैं ।
भगवान शिव के प्रबल भक्त बाणासुर, पुराण युग के दौरान महान अभिमानी दानव राजा बलि और विष्णु भक्त प्रह्लाद के महान पौत्र के सौ पुत्रों में से एक थे, जो इस रियासत के शासक थे।
माता भीमाकाली बुशहर राज्य के राजाओं की कुल देवी हैं । इसलिए राजधानी मैं माता को समर्पित भव्य मंदिर का निर्माण
Rampur Bushahr
हमारा बुशैहर