रामपुर बुशहर,19 जनवरी
हिमाचल प्रदेश शिमला जिले के रामपुर बुशहर में मौजूद राम मंदिर के तार अयोध्या नाथ से जुड़े हैं। यहां पर यह मंदिर वर्ष 1824 -1856 के मध्य में निर्माण किया गया है। अयोध्यानाथ मन्दिर भी बुशहर घाटी के अन्य मन्दिरों की भान्ति ही नागर व पहाड़ी शैली का बेजोड़ नमूना है । इस मन्दिर में श्री राम, सीता, कृष्ण, राधा , शिव-पार्वती, शालिग्राम आदि की सत्रह पीतल की मूर्तियों को चांदी की बनी तीन नक्काशीदार पालकियों में विराजित किया है। मन्दिर की वास्तुकला, शिल्पकला और काष्ठकला कुशल कारीगरी का प्रमाण देती है, जिन्होंने मन्दिर की सुन्दरता को चार चांद लगाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।
मन्दिर की स्थापना के सम्बन्ध में यह माना जाता है कि महाराजा रामसिंह ( बुशहर रियासत के 117वें राजा) के नाम पर ही इस कस्बे का नाम रामपुर पड़ा जोकि महाराजा उदय सिंह के पुत्र थे जिन्होंने इस मन्दिर की स्थापना की थी। उन्होंने वर्ष 1824-1856 तक शासन किया था ।
किंवदतियों के अनुसार महाराजा राम सिंह का विवाह अयोध्या से हुआ था जहां से उनकी रानी श्रीराम जी की मूर्ति ( अपने कुल्ज देवता के रूप में) लेकर आई थी जिसके लिए महाराजा रामसिंह ने इस मन्दिर का निर्माण करवाया था।
जिस स्थान पर यह मन्दिर स्थित है यह पहले मन्दिर न होकर एक महल था, जोकि एक पहाड़ी पर बनाया गया है। रियासत के ज़माने में इसका सारा प्रबन्ध राजा बुशहर द्वारा किया जाता था । सन् 1952 से इसका प्रबन्ध एक समिति द्वारा किया जाता है। अयोध्यानाथ मन्दिर में प्रात: सायं दोनों ही समय नियमित रूप से पूर्ण विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस प्रयोजन हेतु एक स्थायी पुजारी की नियुक्ति की गई है । वर्तमान समय में यह मंदिर भीमांकाली न्यास द्वारा संचालित किया जाता है। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय राजा वीरभद्र सिंह के पूर्वजों द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया था।