कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे  रोजमर्रा की घरेलू चीजे जिम्मेदार, डाक्टर पठानिया ने निम्न चीजों से दूर रहने की दी सलाह 

कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे  रोजमर्रा की घरेलू चीजे जिम्मेदार, डाक्टर पठानिया ने निम्न चीजों से दूर रहने की दी सलाह 

रामपुर बुशहर, 8 फरवरी योगराज भारद्वाज

पठानिया हर्बल इलेक्ट्रो होम्यो उपचार  नाड़ी व स्वभाव परीक्षण केंद्र एवं हर्बल इलेक्ट्रो होम्योपैथिक रिसर्च सेंटर विथल शिमला में पूरी रिसर्च टीम के सभी डॉक्टरों के साथ हिमाचल में बढ़ते कैंसर के रोगियों के विषय में एक बैठक में गहन चिंतन करते हुए। पठानिया रिसर्च सेंटर के एम डी डॉ० संजीव कुमार पठानिया नाड़ी एवं स्वभाव विशेषज्ञ इलैक्ट्रो होम्योपैथिक फिजिशियन,की अध्यक्षता में डॉ० कुसुम पठानिया स्त्री रोग संबंधित इलेक्ट्रो होम्योपैथिक फिजिशियन ,व डॉ० राकेश राणा पेट व पाइल्स संबंधित इलेक्ट्रो होम्योपैथिक फिजिशियन, की टीम के डॉक्टरों ने अपने रिसर्च सेंटर में लोगों को जानकारी देते हुए कहा कि रोजमर्रा की प्रयोग करने वाली वस्तुओं जैसे प्लास्टिक की बोतले, टी बैग, आपातकालीन स्थिति में दाल और साग सब्जी प्लास्टिक की थैली में पैक करना, और रोटी को अखबारों के पेपर में लपेटना अखबार में लिखित स्याही में भी केमिकल का प्रयोग किया होता है।  कोरोना जैसी महामारी के बाद लोगों को  ढाबों पर चाय व खाने के लिए डिस्पोजल गिलास व डिस्पोजल पलेटो का प्रयोग करने से भी दिनचर्या में प्रयोग करने वाली वस्तुएं, सौंदर्य उत्पाद, ई सिगरेट, हुक्का, कुछ वस्तुओ में प्लास्टिक के लिफाफे में प्रयोग की जाने की वजह से नजदीकी ही कुछ दुकानदार अपनी नजदीकी दुकानों पर उन प्लास्टिकों को जलाते हैं। जो प्लास्टिक जलता है उसी धुएं से भी बहुत बड़ा नुकसान होता है। वह  भी कैंसर का बहुत बड़ा कारक बनता जा रहा है । यह सारे कारण कैंसर के बढ़ते खतरे में योगदान दे रहे हैं। डॉ० संजीव कुमार पठानिया का कहना है। पठानिया ने बताया कि प्लास्टिक की बंद  बोतलो में पानी आता है। उसका प्रयोग एक बार ही किया जाता है, लेकिन लोग उन बोतलो का बार-बार प्रयोग करते हैं,उसके बाद उसको प्रयोग नहीं करना चाहिए, लेकिन कुछ लोग इस बोतल में बार-बार झरनों का पानी भरने के बाद उस पीनी को प्रयोग करते हैं और उन्ही बोतलों को जो दूध बेचने वाले लोग होते हैं। उन्ही बोतलों में दूध लोगों तक पहुंचाते हैं। वह एक बार प्रयोग  की जाने वाली बोतल अगर महीनो तक प्रयोग की जाती हो तो उससे बहुत बड़ा नुकसान मानव शरीर को हो  रहा है। यह भी  कैंसर को बढ़ावा देने वाला बहुत बड़ा कारण है । पानी की बिसलेरी बोतलों की जगह स्टील, बास व मिट्टी की बोतलों का प्रयोग करें।  डॉoपठानिया का कहना है कि इस खतरनाक स्थिति के लिए जीवन शैली व पर्यावरणीय कारकों को जिम्मेदार ठहराया है। इन कारणों से हिमाचल प्रदेश के लोग भी बहुत ज्यादा कैंसर के रोगी बना रहे हैं। जो हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है।  जिसमें तंबाकू, शराब व मोटापा और वायु प्रदूषण को प्रमुख दोषी माना गया है ।

डॉ०कुसुम पठानिया ने सौंदर्य उत्पाद पर ध्यान देने पर जागरूक होने की दी सलाह है। उनका कहना है कि 

 रोजमर्रा के सौंदर्य उत्पाद भी बन रहे कारण,  इसके अलावा रोजमर्रा के सौंदर्य उत्पाद भी स्त्रियों और लड़कियों के लिए कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं। जैसे नेल पॉलिश और नेल पॉलिश रिमूवर में खतरनाक रसायन होते हैं। केमिकल युक्त हेयर प्रोडक्ट संभावित कैंसर संबंधी जटिलताओं को रोकने के लिए दैनिक सौंदर्य दिनचर्या में केमिकल युक्त चीजों को जानना महत्वपूर्ण है । 

डॉ०राकेश राणा का कहना है। कि बीड़ी, सिगरेट, गुटका, तंबाकू,प्रयोग करने वाले युवाओं में कैंसर की वृद्धि देखने का कारण बन रहा है।युवाओं में हुक्का सेवन की बढ़ती संख्या में भी छोटी उम्र में दमा, श्वास जैसे रोगों का बढ़ना व गले का कैंसर ,फेफड़े का कैंसर संबंधी समस्या को बढ़ावा दे रहा है। जिस कारण युवा वर्ग जल्दी ही बीमारी की चपेट में आकर छोटी उम्र में कैंसर जैसी भयंकर बीमारी में जूझ रहे हैं।  इन कारणों को समझना बहुत अनिवार्य है।

फोटो कैप्शन

रामपुर बुशहर : डाक्टर संजीव कुमार पठानिया।

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