रामपुर बुशहर, 2 मई मीनाक्षी
भारत सरकार द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने तथा उनके समाधान के लिए शी-बॉक्स” (यौन उत्पीड़न इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स) नामक एक ऑनलाइन शिकायत पोर्टल की शुरुआत की गई है। यह पहल महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा की गई है, जिसका उद्देश्य सभी कार्यरत महिलाओं को एक सुरक्षित, सहज एवं पारदर्शी शिकायत निवारण प्रणाली उपलब्ध कराना है।
जानकारी देते हुए सीडीपीओ रामपुर शशि ठाकुर ने बताया कि यह पोर्टल सभी प्रकार की कार्यरत महिलाओं के लिए उपलब्ध है, चाहे वे संगठित क्षेत्र में कार्यरत हों या असंगठित, निजी क्षेत्र में हों या सरकारी संस्थानों में। पोर्टल एक सिंगल वींडो प्रणाली के रूप में कार्य करता है, जहाँ महिलाएं अपनी शिकायतें ऑनलाइन दर्ज कर सकती हैं। शिकायत दर्ज होते ही यह संबंधित क्षेत्र की प्राधिकृत संस्था को भेज दी जाती है, जो मामले की जांच कर आवश्यक कार्यवाही करती है। आंतरिक शिकायत समिति का गठन अनिवार्य
कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संरक्षण हेतु वर्ष 2013 में “कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम” पारित किया गया था। इस अधिनियम के अंतर्गत यह अनिवार्य किया गया है कि प्रत्येक ऐसा संस्थान, जहाँ 10 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, एक “आंतरिक शिकायत समिति”
का गठन करे। यह समिति कार्यस्थल पर उत्पीड़न की घटनाओं की जांच करती है तथा पीड़िता को न्याय दिलाने हेतु कदम उठाती है।
सीडीपीओ रामपुर शशि ठाकुर ने बताया कि यदि किसी महिला को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, तो वह सीधे https://shebox.nic.in पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज कर सकती हैं। उन्हें अपनी पहचान, संस्था का विवरण, घटना की जानकारी आदि भरनी होती है। इसके बाद संबंधित विभाग या समिति द्वारा जांच आरंभ की जाती है।
सीडीपीओ रामपुर ने बताया कि
सभी सरकारी विभागों, शैक्षणिक संस्थानों एवं निजी कार्यालयों को यह निर्देशित किया गया है कि वे समय पर आईसीसी
का गठन कर उसका विवरण संबंधित प्राधिकरण को भेजें। इससे न केवल कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि ऐसी घटनाओं के त्वरित समाधान में भी सहायता मिलेगी।
वही ं बता दे कि शी बाक्स
पोर्टल महिलाओं को कार्यस्थल पर सुरक्षा का भरोसा देता है। यह तकनीकी माध्यम महिलाओं को सशक्त बनाता है, ताकि वे बिना भय के अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें। साथ ही, सभी संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे इस प्रणाली को अपनाकर कार्यस्थल को महिला अनुकूल बनाएं।