अंतराष्ट्रीय लवी मेले में आम जनमानस पर पड़ रहा मंहगाई का प्रभाव

खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद लेना व झुलों की सवारी करना भी आम जनमानस को हुआ मुश्किल 

रामपुर बुशहर,19 अक्टूबर योगराज भारद्वाज

अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में इस बार आम जनमानस पर महंगाई का गहरा प्रभाव देखा जा रहा है। मेले में खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद लेना भी अब कई लोगों के लिए चुनौती बन गया है।

*खाने-पीने की बढ़ती कीमतें*
पारंपरिक हिमाचली व्यंजन, जैसे कि सीडडू, जो पिछली बार 50 रुपये में उपलब्ध था, अब 70 रुपये में बेचा जा रहा है। इसी तरह, मक्की की रोटी और साग का मूल्य भी 70 रुपये तक पहुंच गया है। मेले में आने वाले लोग इन व्यंजनों का आनंद लेने के लिए उत्सुक रहते हैं, लेकिन इस साल महंगे दामों ने कई लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

*मनोरंजन भी हुआ महंगा*
मेले में झूलों की सवारी करना भी अब आम लोगों के लिए महंगा साबित हो रहा है। पिछले साल एक झूला झूलने के लिए 80 रुपये लिए जाते थे, जबकि इस साल यह शुल्क बढ़कर 100 रुपये हो गया है। झूले, जो बच्चों और युवाओं के लिए मेले का मुख्य आकर्षण होते हैं, अब केवल उन्हीं के लिए सुलभ हैं जो इन बढ़े हुए दामों का भुगतान करने में सक्षम हैं। यह महंगाई बच्चों की खुशियों पर भी भारी पड़ रही है।

*मेले में महंगाई का असर*
महंगाई के इस दौर ने न केवल आम जनता की जेबों पर असर डाला है, बल्कि मेले की रौनक को भी कम कर दिया है। जहां लोग पहले मेले में बिना किसी चिंता के खरीदारी और खाने-पीने का मजा लेते थे, अब उन्हें हर चीज का मूल्य ध्यान में रखना पड़ रहा है। कई परिवारों ने इस बार मेले में सीमित खरीदारी करने या केवल घूमने तक खुद को सीमित कर लिया है।

*व्यापारियों की मजबूरी*
दूसरी ओर, व्यापारियों का कहना है कि बढ़ती महंगाई और कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि ने उन्हें भी मजबूर कर दिया है। वे उच्च दामों के बिना मुनाफा नहीं कमा सकते, और इसलिए उन्हें भी कीमतें बढ़ानी पड़ रही हैं।

*सरकार और प्रशासन की भूमिका*
महंगाई की इस मार से बचने के लिए लोगों को सरकार और स्थानीय प्रशासन से उम्मीद है कि वे इस समस्या का समाधान करेंगे। मेले जैसी जगहों पर कीमतों को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए ताकि हर वर्ग के लोग इस तरह के आयोजनों का पूरा आनंद ले सकें। अंतरराष्ट्रीय लवी मेला सिर्फ एक आयोजन नहीं है, यह हिमाचल प्रदेश की संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। यदि महंगाई इसी प्रकार बढ़ती रही, तो इसका असर न केवल आम जनता की भागीदारी पर पड़ेगा, बल्कि मेले की रौनक और परंपरा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

फोटो कैप्शन

रामपुर बुशहर :  कम लोग ले रहे झुलों का आनंद।

रामपुर बुशहर: कम ही लोग ले रहे सीडडू का आनंद।

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