लोगों ने एतिहासिक व पारम्परिक मेले में बढ़ चढ़ कर लिया भाग
रामपुर बुशहर,16 अप्रैल योगराज भारद्वाज
पंद्राबीश क्षेत्र धारा सरगा में इस वर्ष का बैसाखी मेला बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया गया। यह मेला क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक आस्था का प्रतीक है, जो हर वर्ष बैसाखी के शुभ अवसर पर आयोजित किया जाता है। इस पारम्परिक मेले में आसपास के गांवों से भारी संख्या में श्रद्धालु और दर्शक एकत्रित होते हैं, जिससे पूरा क्षेत्र भक्तिमय और उल्लासपूर्ण वातावरण से भर जाता है।
इस वर्ष मेले की शोभा तब और बढ़ गई जब देवता साहिब जाहरू नाग खरगा और देवता साहिब झाकणू नाग धारा सरघा की भव्य पालकियों के साथ पधारे। इनके साथ अन्य देवी-देवताओं की उपस्थिति ने मेले की धार्मिक गरिमा को और भी ऊँचा कर दिया। देवताओं की शोभायात्रा, पारम्परिक वाद्ययंत्रों की मधुर ध्वनि और श्रद्धालुओं के जयघोषों से संपूर्ण वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया।
मेले के दौरान पारम्परिक व ऐतिहासिक नाटी का आयोजन भी किया गया, जिसमें स्थानीय युवक-युवतियों ने पारंपरिक वेशभूषा में भाग लिया। नाटी की लयबद्ध ताल और सामूहिक नृत्य ने दर्शकों का मन मोह लिया। यह नाटी न केवल मनोरंजन का माध्यम थी, बल्कि हिमाचली संस्कृति और परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन भी था। स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत गीत-संगीत की प्रस्तुतियों ने मेले को और भी रंगीन बना दिया।
बैसाखी मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा मेलार्थियों के लिए दुकानों, झूलों और स्थानीय व्यंजनों का भी विशेष इंतजाम किया गया था। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने मेले का भरपूर आनंद लिया। महिलाएं पारंपरिक पोशाकों में सजधज कर मेले में शामिल हुईं और इस आयोजन को एक सांस्कृतिक उत्सव का रूप प्रदान किया।
यह मेला न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। यह अवसर लोगों को एक मंच पर लाकर आपसी भाईचारे को मजबूत करता है और युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़े रखने में सहायक सिद्ध होता है।
हर वर्ष की तरह इस बार भी मेले का आयोजन स्थानीय प्रशासन और ग्राम पंचायत के सहयोग से सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। सुरक्षा व्यवस्था, सफाई और अन्य सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया था।
इस प्रकार पंद्राबीश क्षेत्र धारा सरगा का बैसाखी मेला एक ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के रूप में संपन्न हुआ, जिसने लोगों के मन में गहरी छाप छोड़ी और क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखा।
फोटो कैप्शन
रामपुर बुशहर : मेले में पारम्परिक नाटी लगाते हुए क्षेत्र के लोग।