ब्यूरो, 5 अप्रैल
“मैं अक्सर सुबह से देर रात तक काम किया करता था ताकि बेटे के सपने पूरे कर सकूं। तिलक को उसका फेवरेट क्रिकेट बैट दिला पाऊं इसके लिए मैंने कई दिनों तक ओवरटाइम किया था। मुझे याद है, एक बार उसने मुझसे बैट खरीदने के लिए 5000 रुपए मांगे थे। यह मेरे लिए बहुत ज़्यादा पैसे थे, इसलिए मैंने उससे कहा कि तुम 1000 तक वाला बल्ला ले लो। तिलक ने ऐसे छोटे-छोटे कई समझौते किए, लेकिन कभी शिकायत नहीं करता था।”
- तिलक वर्मा के पिता नंबूरी नागराजू
IPL में मुंबई और बंगलोर के मुकाबले में पहली पारी की आखिरी गेंद बल्ले से लगी और हेलीकॉप्टर की तरह मैदान के बाहर!! जी हाँ यह हेलीकॉप्टर शॉट तो था, लेकिन इसे धोनी ने नहीं बल्कि तिलक वर्मा ने लगाया था।
मुंबई इंडियन के लिए लगातार अपने बेहतरीन प्रदर्शन से लोगों को अपना फैन बना रहे तिलक की कहानी संघर्ष से भरी हुई है। उनके पिता नंबूरी नागराजू बिजली का काम करते हैं और शुरू से ही परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह अपने बेटे को अच्छी क्रिकेट ट्रेनिंग दिला सकते। परिवार एक छोटे किराए के मकान में रहता था, मुश्किल से महीने के खर्चे पूरे होते लेकिन इन बातों की परवाह किए बिना पिता ने तिलक को क्रिकेटर बनाया और बेटे ने भी सारी मुश्किलों को पार करते हुए अपने पिता और परिवार का नाम रोशन किया।
तिलक वर्मा आज अगर क्रिकेट की दुनिया के उभरते हुए सितारे हैं तो इसमें उनके पिता का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आज वह सिर्फ़ संघर्षों को पार करके आए खिलाड़ी ही नहीं, देश के हर युवा के लिए एक प्रेरणा भी बन गए हैं।