किन्नौर,22 अप्रैल मीनाक्षी
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की सुरम्य सांगला घाटी के एक छोटे से गांव कामरू से ताल्लुक रखने वाले 23 वर्षीय प्रथम याम्बुर ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता प्राप्त कर प्रदेश का नाम रोशन किया है। यह उनकी दूसरी कोशिश थी, जिसमें उन्होंने ऑल इंडिया में 841वीं रैंक प्राप्त की। प्रथम की इस ऐतिहासिक उपलब्धि से न केवल उनका गांव, बल्कि पूरे किन्नौर जिले में उत्सव का माहौल है।
प्रथम एक साधारण किसान परिवार से हैं। उनके पिता श्री व्यास सुन्दर एक मेहनती किसान और बागवान हैं, वहीं माता श्रीमती राजदेवी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में सेवाएं दे रही हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद प्रथम ने अपने दृढ़ निश्चय और लगन से वह कर दिखाया जो बहुत से युवाओं का सपना होता है।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा सांगला स्थित शिवालिक पब्लिक स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालय, रिकांग पिओ से नॉन-मेडिकल विषय में 12वीं की पढ़ाई पूरी की। विज्ञान की पृष्ठभूमि से होने के बावजूद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कला संकाय में स्नातक की डिग्री प्रथम श्रेणी में हासिल की। यह उनके विविध विषयों में रुचि और लचीलापन दर्शाता है।
स्नातक की पढ़ाई के पश्चात उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुट गए। 2024 में आयोजित UPSC की परीक्षा में उन्हें असिस्टेंट कमांडेंट (CISF) पद के लिए चयनित किया गया। हालांकि यह एक सम्मानजनक पद था, लेकिन प्रथम का सपना था भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में जाना। इसीलिए उन्होंने वह पद अस्वीकार कर दोबारा परीक्षा देने का फैसला लिया।
उनका यह निर्णय जोखिम भरा था, लेकिन आत्मविश्वास और समर्पण की मिसाल भी। सितंबर 2024 में आयोजित UPSC मुख्य परीक्षा में उन्होंने उल्लेखनीय प्रदर्शन करते हुए 841वीं रैंक हासिल की और अपने सपनों को साकार किया।
प्रथम याम्बुर न केवल पढ़ाई में उत्कृष्ट रहे हैं, बल्कि खेलकूद और सह-शैक्षणिक गतिविधियों में भी सदैव अग्रणी रहे हैं। उन्होंने संतुलित व्यक्तित्व के साथ खुद को हर क्षेत्र में सिद्ध किया है। उनकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि प्रतिभा केवल महान शहरों से नहीं, बल्कि दूरदराज़ गांवों से भी निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहरा सकती है।
अपनी सफलता का श्रेय उन्होंने अपने माता-पिता, शिक्षकों और मार्गदर्शकों को दिया है। उनका मानना है कि सही मार्गदर्शन, निरंतर प्रयास, मेहनत और आत्मविश्वास से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उन्होंने हिमाचल के युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा, “अगर मेहनत, लगन, निष्ठा और समर्पण से किसी लक्ष्य को हासिल करना चाहो तो कोई भी बाधा आड़े नहीं आती।” साथ ही उन्होंने युवाओं से नशे से दूर रहकर अपने लक्ष्यों पर केंद्रित रहने की अपील की।
प्रथम याम्बुर की यह प्रेरणादायक कहानी हमें यह सिखाती है कि सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों में भी बड़ा सपना देखा जा सकता है और उसे पूरा भी किया जा सकता है। उनका जीवन उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो UPSC जैसी कठिन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और समाज में बदलाव लाने की आकांक्षा रखते हैं।